Saturday 2 November 2013

" आओ एक-एक दिया जलाएँ "

एक छोटा सा दीपक
घनघोर तिमिर के
घटाटोप अंधकार को...

भले हीं ज्यादा दूर तक
ना भेद पाए
किन्तु
नन्हीं-नन्हीं अनेक
दीपमालाएँ मिलकर
अंधतमिस्त्रा की
कोटि-कोटि गजवाहिनी
के अंग-प्रत्यंग को
अपने तीक्ष्ण
ज्योतिशरों से
बींधकर
कार्तिक अमावस्या के
घनघोर ध्वांत को
आलोकित, मधुरात्रि में
बदल डालने की
क्षमता रखती है
अज्ञान, अन्याय,
अत्याचार रुपी
अन्धकार को
भगाने के लिए
नन्हा-सा हीं सही
जागृति-रुपी
एक-एक दिया
आइये
हम सब मिलकर जलाएँ .... !!
© कंचन पाठक.